महिला निसंतानता के कारण, लक्षण तथा आयुर्वेदिक उपचार

महिला निसंतानता के कारण, लक्षण तथा आयुर्वेदिक उपचार- Female Infertility

इनफर्टिलिटी की समस्या सिर्फ महिला में ही नहीं पुरुष में भी देखी जा रही है। आकड़ों के अनुसार, भारत में 10 में से 15 फिसदी कपल निसंतानता से जुझ रहे है। हर 6 में से 1 कपल निसंतान है। देश में निसंतानता की बेहद ही गंभीर समस्या की ओर ध्यान देने की जरूरत है। 

आमतौर पर टेस्ट से पहले 35 प्रतिशत महिलाओं को ही इनफर्टिलिटी के लिए जिम्मेदार माना जाता है। महिलाओं को प्रजनन क्षमता की कमी होने के कारण कंसीव करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। महिलाओं में बांझपन के कई कारण हो सकते हैं, जैसे ओव्यूलेशन डिसऑर्डर, फैलोपियन ट्यूब में क्षति, एंडोमेट्रियोसिस, यूटेरस या सर्विक्स से जुड़ी समस्याएं आदि हो सकती है।

अगर लक्षणों का पता लगाकर इसका समय पर इलाज कर किया जाए तो बांझपन को ठीक किया जा सकता है। आइए आयुर्वेद के अनुसार जानते हैं महिला निसंतानता के कारण, लक्षण तथा उपचार के बारे में जो बांझपन की समस्या को दूर कर सकते हैं।

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महिला निसंतानता क्या है?- Female Infertility in Hindi

बांझपन एक ऐसी समस्या है जिसमें गर्भवती होने और बच्चे को जन्म देने की क्षमता किसी तरह से सीमित हो जाती है। पुरुष और महिला के लिए आमतौर पर गर्भवती होने की कोशिश के एक वर्ष के बाद निदान किया जाता है (लेकिन अन्य कारकों के आधार पर जल्द ही इसका निदान किया जा सकता है)।

जोड़ों के लिए, बांझपन के एक तिहाई कारण पुरुष समस्या के कारण होते हैं, एक तिहाई महिला समस्याओं के कारण होते हैं, और एक तिहाई संयोजन के कारण से होते हैं। जब बांझपन का कारण महिला साथी से आता है, तो इसे महिला बांझपन या “महिला कारक” बांझपन माना जाता है।

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महिलाओं में बांझपन के लक्षण- Symptoms of Female Fertility in Hindi

आजकल कपल्स के लिए यह समस्या आम है कि एक साल तक गर्भवती होने की कोशिश करने के बाद, उन्हें प्रजनन क्षमता की कमी का पता चलता है। इन निम्नलिखित लक्षण से प्रजनन समस्या का संकेत दे सकते हैं:

  • आपकी उम्र 35 साल है, और आप गर्भवती होने की कोशिश कर रही हैं।
  • 35 साल से कम में गर्भवती हुए बिना एक साल तक असुरक्षित यौन संबंध बनाए हो।
  • आपको लगातार दो या अधिक गर्भावस्था हानियां हुई हो।
  • आपको बांझपन के कोई जोखिम कारक हो।
  • अनियमित या अनुपस्थित पीरियड्स होना।
  • बहुत दर्दनाक अवधि है।
  • प्रजनन समस्याओं का पता होना।
  • कई बार गर्भपात हो चुका हो।
  • कैंसर का इलाज चल रहा हो।
  • आपके परिवार में अन्य लोगों को बांझपन की समस्या हो।
  • यौन रोग (स्तंभन दोष या कम कामेच्छा आदि)।
  • चेहरे या शरीर के बालों में कमी होना
  • माहवारी का अनियमित होना
  • माहवारी का ना होना
  • महिलाओं के चेहरे एवं शरीर में अत्यधिक वालों का होना 
  • सेक्स के प्रति कम लगाव होना
  • वजन में अत्यधिक वृद्धि होना
  • संबंध बनाते समय दर्द होना

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महिला बांझपन के कारण- Causes of Female Infertility in Hindi

  • कुछ महिलाओं को पीरियड्स के दौरान सामान्य से कम दर्द होता है या बिल्कुल नहीं होता, जबकि बहुत सी ऐसी महिलाएं हैं जिन्हें पीरियड्स के दौरान बहुत ज्यादा दर्द का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा, उनके पीरियड्स की अवधि काफी दिनों तक चलती है। एंडोमेट्रियोसिस एक ऐसी समस्या है जिसमें यूटेरस के अंदर पाया जाने वाला एक टिश्यू बढ़कर गर्भाशय के बाहर फैलने लगता है। यह ऊतक अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब या यूटेरस के बाहरी हिस्सों में और दूसरे हिस्सों में फैल सकता है। जिसके कारण पीरियड्स के दौरान तेज दर्द हो सकता है।
  • एक अनियमित चक्र, जिसमें पीरियड्स मिस्ड होते हैं, बांझपन का कारण बन सकता है। अनियमित पीरियड्स की वजह से ओव्यूलेशन नियमित तौर पर नहीं होते है। पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (Polycystic Ovarian Syndrome), मोटापा, कम वजन और थायराइड की समस्याओं सहित कई कारक  ओव्यूलेशन की अनियमिता के कारण हो सकते हैं।
  • हार्मोन में उतार-चढ़ाव होने के कारण शरीर में कई तरह के लक्षण दिखने लगते हैं। इनमें मुंहासे, हाथ पैरों का ठंडा पड़ना, सेक्स ड्राइव में कमी, यौन इच्छा में कमी, निप्पल डिस्चार्ज, चेहरे पर बालों का बढ़ना, सिर के बालों का पतला होना, वजन का बढ़ना आदि शामिल होना हैं। 
  • सेक्स के दौरान दर्द (डिस्पेर्यूनिया) एक ऐसी समस्या है जो महिला की प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकती है। इंफेक्शन, एंडोमेट्रियोसिस और फाइब्रॉएड ऐसी समस्याएं हैं जिनमें सेक्स के दौरान दर्द हो सकता है।
  • मासिक धर्म की शुरुआत में आमतौर पर रक्त चमकदार लाल रंग का होता है और अगले कुछ दिनों में गहरा हो सकता है। अगर आपके मासिक धर्म का रक्त सामान्य से हल्का है या मासिक धर्म के शुरुआती दिनों में बहुत गहरा है, तो ये बांझपन का संकेत हो सकता है।

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महिला निसंतानता के जोखिम- Risk of Female Infertility in Hindi

कई कारक एक महिला में बांझपन के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। सामान्य स्वास्थ्य स्थितियां, जेनिटिक विशेषताएं, जीवनशैली के विकल्प और उम्र सभी महिला बांझपन का कारण हो सकते हैं। विशिष्ट कारकों में शामिल हो सकते हैं:

  • उम्र
  • हार्मोन की समस्या 
  • असामान्य मासिक धर्म
  • मोटापा
  • कम वजन होना
  • अत्यधिक व्यायाम से शरीर में वसा की मात्रा कम होना
  • एंडोमेट्रियोसिस
  • फैलोपियन ट्यूब, गर्भाशय या अंडाशय की समस्याएं
  • गर्भाशय फाइब्रॉएड
  • अल्सर
  • ट्यूमर
  • ल्यूपस, गठिया, थायरॉयड ग्रंथि की स्थिति
  • यौन संचारित संक्रमण (STI)
  • पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS)
  • प्राथमिक अंडाशय अपर्याप्तता (POI)
  • अत्यधिक मादक द्रव्यों का सेवन (Heavy Alcohol)
  • धूम्रपान

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फर्टिलिटी समस्या का आयुर्वेदिक इलाज- Ayurvedic Treatment for Fertility Problems in Hindi

किसी भी वजह से अगर फर्टिलिटी के इलाज में सफलता नहीं मिलती तो मन दुखी हो जाता है। लेकिन इलाज फैल होने के बाद और भी ऑपशन मौजूद रहते है। प्रजनन क्षमता और फर्टिलिटी को सुधारने के लिए आप नेचुरल तरीके से इलाज कर सकते है। आयुर्वेदिक के जरिए आप असानी से प्रेग्नेंट हो सकती हैं। जैसे कि महिला निसंतानता के उपचार के लिए आयुर्वेद की प्रचीन पद्धति से निसंतानता की समस्या का निवारण किया जाता है इसमें पंचकर्मा की पद्धति से इलाज (mahila banjhpan ka ilaj) कर शरीर के विकारों और हर्मोंन को ठीक करने में मदद करती है। 

पंचकर्मा के द्वारा शरीर के विषैले पदार्थ को बहार निकालते है और तानव को कम करने मे भी काफी असरदायक है। क्योंकि जब हमारे शरीर से विषैले पदार्थ बहार निकलता है तो हमारा शरीर पूरी तरीके से शुद्ध होता है। 

पंचकर्म का मतलब ही पांच क्रियाएं है जो इस प्रकार से हैं। पंचकर्मा के पहले चरण वमन में आपको उल्टी करवाकर मुंह के दोष को बहार निकालना होता है जिससे शरीर शुद्ध होता है। दूसरे चरण में विरेचन में भी ऑयलेशन और फॉमेंटेशन से गुजरना पड़ता है। विरेचन की प्रक्रिया में जड़ी-बूटी खिलाई जाती है। जिसकी मदद से आपके आंत से विषाक्त पदार्थ को बाहर निकालने का काम करती है।

तिसरे चरण बस्ती में आपके गुदामार्ग या मूत्रमार्ग से औषधि को शरीर में प्रवेश कराया जाता ताकि रोग का इलाज कर सकें। इसमें तरल पदार्थों का इस्तेमाल किया जाता है जैसे कि तेल, दुध और घी को आपके मलाशय तक पहुंचाया जाता है। चौथे चरण नस्य में आपके नाक के माध्यम से औषधि को शरीर में प्रवेश करवाया जाता है। जो आपके सिर के ऊपर वाले भाग से विषाक्त पदार्थ को बाहर निकालने में मदद करता है। आखिरी और पांचवे चरण रक्तमोक्षण में आपके शरीर में खराब खून को साफ किया जाता है। खून साफ ना होने की वजह से शरीर में होने वाली बीमारी से बचाने में रक्तमोक्षण प्रक्रिया बहुत कारागर साबित होती है। 

अगर आप ऐसी समस्या से जुझ रहे है तो कृपया उसे बिल्कुल भी नजरअंदाज ना करें, क्योंकि ऐसा करना आपके जीवन के लिए खतरनाक होता है। ये तरीका आपके रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाता है। इससे आपके शरीर और दिमाग पर तनाव के नकारात्मक प्रभावों को कम करती है। जिससे उम्र बढ़ने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है।

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इस लेख की जानकारी हमें डॉक्टर चंचल शर्मा द्वारा दी गई है। इस विषय से जुड़ी या अन्य पीसीओएस, ट्यूब ब्लॉकेज, हाइड्रोसालपिनक्स उपचार पर ज्यादा जानकारी चाहते हैं। हमारे डॉक्टर चंचल की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाए या हमसे +91 9811773770 संपर्क करें।

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