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पीसीओडी में पीरियड्स लाने के आयुर्वेदिक उपचार 

आज की भागदौड़ वाली लाइफ में तमाम महिलाओं और लड़कियों को बहुत तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जिसका असर महिला के प्रजनन स्वास्थ्य पर पड़ता है। प्रजनन स्वास्थ्य प्रभावित होने पर महिलाओं को इनफर्टिलिटी से संबंधित दिक्कते होती है। पीसीओडी की वजह से लड़कियां तवाव में चली जाती है । महिलाओं में यह सामास्य आम हो चुकी है। जिसके कारण महिलाओं पीरियड्स मिस हो जाते है और फिर उनको नियमित करने में बड़ी मशक्कत होती है। यदि किसी महिला या फिर लडकी को पीसीओडी की समस्या हो जाते है। तो उसकी माहवारी समय से नही होती है। बहुत बार समय से पहले आ जाती है और कभी-कभी बहुत ज्यादा देर से होती है। महिलाओं में पीरियड्स में देरी के अन्य कारण भी हो सकते है। जैसे – शुगर, गर्भावस्था, ट्यूबल ब्लॉकेज, स्टोन इत्यादि। 

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पीसीओडी (पॉलीसिस्टिक ओवरी डिडीज) एक प्रकार का हार्मोनल डिस्ऑर्डर जो मुख्य रुप से प्रजनन वायु वाली महिलाओं में होती है। पीसीओडी के चलते महिलाओं का मासिक धर्म चक्र समय से पहले या फिर बहुत देरी में होता है। ऐसी स्थिति होने पर पीरियड्स को रेगुलर करने के लिए आयुर्वेदिक उपायों की मदद ले सकते है। 

इसके अलावा ऐसा भी होता है। कि आपको पीसीओडी न हो और फिर भी पीरियड्स देर से आते हो। तो ऐसे में आप आयुर्वेदिक उपायों को अपनाकर पीरियड्स को समय पर ला सकती है। 

पीसीओडी या पीसीओएस क्या होता है ?

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) महिला प्रजनन आयु का सबसे आम अंतःस्रावी विकार है। यह एक बहुत ही सामान्य स्थिति है जो प्रसव उम्र की  10% से अधिक महिलाओं को प्रभावित करती है और पाचन तंत्र और प्रजनन क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है। पीसीओडी होने पर चेहरे और शरीर पर बालों की वृद्धि, विशेष रूप से कुछ क्षेत्रों में), मुँहासे और बालों की गुणवत्ता और मात्रा में कमी होती हैं। Hyperandrogenism follicular maturation की कमी के लिए भी जिम्मेदार है, जिसके परिणामस्वरूप ओव्यूलेशन नही होता है और metabolic syndrome  का खतरा बढ़ जाता है। 

पीसीओडी की वजह से 40% मामलों में, निःसंतानता से जुड़ी समस्याएं जैसे – गर्भधारण करने में कठिनाई और प्रसूति संबंधी समस्याओं (जैसे गर्भपात, गर्भकालीन मधुमेह, प्री-एक्लेमप्सिया, जन्मजात विकृतियों) आदि होने का डर बना रहता है। 

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पीसीओडी की जांच कैसे करें – 

पीसीओडी की जांच एक स्त्री रोग विशेषज्ञ द्वारा की जाती है।  जब हाइपर-एंड्रोजेनिज्म या ओव्यूलेटरी डिसफंक्शन का संदेह होता है।  स्त्री रोग संबंधी जांच के दौरानविशेषज्ञ मासिक धर्म चक्र, रोगी की शारीरिक विशेषताओं, किसी भी पारिवारिक रोग और ट्रांसवेजिनल अल्ट्रासाउंड द्वारा पीसीओडी के होने औ न होने की जांच करते है। 

यदि आवश्यक हो, तो डायग्नोस्टिक को पूरा करने के लिए हार्मोनल संतुलन, लिपिड और ग्लाइसेमिक प्रोफाइल, थायराइड फ़ंक्शन और विटामिन डी का आकलन करने के लिए ब्लड टेस्ट भी करवा सकते है। 

पीसीओडी  का आयुर्वेदिक इलाज कैसे किया जाता है?

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओडी या पीसीओएस)  का इलाज आयुर्वेद में महिलाओं की अलग-अलग प्रकृति के आधार पर किया जाता है।

हाइपर-एंड्रोजेनिज्म के लक्षणों को कम करने के लिए, एस्ट्रोजन-प्रोजेस्टिन को आयुर्वेदिक औषधियों की मदद से नियंत्रित किया जाता है। जबकि मासिक धर्म चक्र की असामान्यता वाली महिलाओं को पंचकर्म पद्धति के द्वारा ठीक किया जाता है। यदि आपको पीसीओडी है और आप गर्भधारण करना चाहती हैं। तो ऐसे में भी आयुर्वेद में सफल उपचार मौजूद हैं।  महिलाओं की प्रजनन स्थिति ​​के आधार पर अलग-अलग उपचार के तौर-तरीके हैं। आयुर्वेद में उम्र और गर्भावस्था की अवधि (वजन घटाने, शारीरिक गतिविधि, जीवनशैली में बदलाव, डाइट प्लान बहुत सारे विकल्प है । जो पीसीओडी को ठीक करके पीरियड्स को नियमति करने में आपकी मदद करते है। 

पीसीओडी और अनियमित माहवारी मामले में, एक उचित जीवन शैली अपनाना: इस सिंड्रोम के अधिक गंभीर परिणामों को रोकने में मदद करने के लिए एक स्वस्थ, संतुलित आहार, वजन नियंत्रण (यदि रोगी अधिक वजन का है) और नियमित शारीरिक गतिविधि आवश्यक है।

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