woman life

एक लड़की का जीवन जन्म से ही चुनौतियों से भरा होता है, उसे अपने जीवन के हर दौर में किसी न किसी परेशानी का सामना करना ही पड़ता है फिर चाहे वह मानसिक हो या शारीरिक हो। समय के घूमते पहिए के साथ स्त्री और पुरुष की उम्र एक साथ बढ़ती है पर स्त्री शरीर और पुरुष के शरीर के अन्दर न जानें कितनी ही अलग अलग घटनाए घटित हो रही होती है | भ्रूण से गर्भ , गर्भ से बच्चा और बचपन से शुरुआती युवा अवस्था मे जाने तक स्त्री और पुरुष की life cycle एक जैसी ही होती है | बचपन से युवा अवस्था की ओर जाते समय , स्त्री शरीर मे hormonal changes होने शुरू हो जाते है | किशोर अवस्था मे इन हारमोन changes की वजह से एक स्त्री शरीर मासिक चक्र शुरु हो जाता है | जिसमे हर महीने खून बहना शुरु हो जाता है | 5 से 6 दिन एक स्त्री को blood loss , pain और जाने क्या क्या सहना पड़ता है |

उम्र के प्रत्येक पड़ाव में महिलाओं के शरीर में न जाने कितने बदलाव देखने को मिलते है। तो हम आज के इस पूरे टॉपिक में बात करेंगे महिलाओं के शरीर से जुड़े हर बदलाओं के बारे में और इसके अलावा यह भी बताएंगे कि महिलाओं को कौन-कौन सी बीमारियों से खतरा रहता है। कैसे इन खतरों को कम किया जाता है तथा कौन से कारण महिलाओं के स्वास्थ को प्रभावित करते है। यदि आप भी किसी समस्या से परेशान है तो आप भी बेहिचक हमसे अपनी समस्या को शेयर कर सकते है। महिलाओं का स्वास्थ्य उनके हर पहलु पर प्रभाव डालता है, इसलिए उम्र के प्रत्येक पड़ाव की चर्चा करेंगे।

आगे उन सभी चुनौतियों को विस्तार से बताया गया है जो एक महिला अपने जीवन में उन सबका सामना करती है………..

  1. PCOD की समस्या लड़कियों की लाइफ स्टाइल से जुड़ी समस्या होती है। यह समस्या ज्यादातर young Age की लड़कियों में पाई जाती है। इस समस्या के अंदर आमतौर पर period में परेशानी देखने को मिलती है। period ठीक से नही आते है। मोटापा बढ़ता है, चेहरे पर बाल आने लगते है। इसके साथ जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती तो infertility यानि की प्रेग्नेंट न होने के चांस बहुत ही कम हो जाते है। आगे चलकर यही सब कारण आगे चलकर निःसंतानता को जन्म देते है।
  2. गर्भाशय में गांठ या रसौली (Fibroid) – रसौली एक प्रकार की गांठ होती है, जो महिलाओं के गर्भाशय में होती है। जिन महिलाओं को रसौली या फिर गर्भाशय में गांठ हो जाती है उनको बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता पड़ता है। रसौली होने पर पेट के निचले हिस्से में दर्द होने लगता है, पेशाब बहुत जल्दी-जल्दी लगती है, कब्ज की शिकायत, पैरों में दर्द इस प्रकार के लक्षण दिखाई देने लगते है।
  3. Endometriosis – एंडोमेट्रिओसिस की समस्या आज कल एक सामान्य समस्या बन चुकी है । एंडोमेट्रिओसिस इस प्रकार की महिलाओं में होने वाली बीमारी होती है जिसके शुरुआती लक्षण पता नही चल पाते है तथा इनके लक्षणों की पहचान काफी देर के बाद होती है। एंडोमेट्रिओसिस जिन महिलाओं को हो जाती है उन महिलाओं को बहुत देर में प्रेग्नेंसी होती है या फिर बिलकुल नही होती है।
  4. Tubal blockage – संतान न होने के बहुत से कारण होते है उन्हीं में से एक है ट्यूब ब्लॉकेज । जब महिला की बच्चेदानी की ट्यूब में कोई रुकावट आता जाती है तो ऐसी अवस्था में बच्चा पैदा करना बहुत ही मुश्किल काम हो जाता है और बच्चा तब तक नही पैदा किया जा सकता है जबकि इस ट्यूब की ब्लॉकेज को खोला न जाए। बच्चा न होने की मुख्य वजह फैलोपियन ट्यूब की ब्लॉकेज होती है। इस ट्यूब का ब्लॉकेज होने का सबसे बड़ा कारण होता है Infection.
  5. Infertility – बच्चा न पैदा करने की क्षमता को हम इनफर्टिलिटी कहलाती है। यह महिला और पुरुष दोनों में हो सकती है। इनफर्टिलिटी को लेकर डॉक्टरों को कहना है कि यह 30 फीसदी महिलाओं में कमी तथा 30 पुरुषों में कमी और 40 फीसदी दोनो में कमी देखने को मिलती है। इसके अलावा भी इनफर्टिलिटी के बहुत सारे कारण होते है जैसे कि मोटापे का होना, pcod का बनना, फैलोपियन ट्यूब का ब्लॉक्ड होना इत्यादि सभी कारण इनफर्टिलिटी को बढ़ावा देते है। यह तो हो गई महिलाओं की समस्या परंतु इसके साथ-साथ पुरुषों में भी बहुत सारी कमी होती है जैसे कि कि स्पर्म का कम होना इनफर्टिलिटी की एक बहुत बड़ी समस्या होती है। स्पर्म की क्वालिटी का खराब होना इत्यादि सभी समस्याएं पुरुषों में भी होती है जिससे बच्चा पैदा में बहुत दिक्कतें होती है।
  6. Post pregnancy syndrome – यह एक ऐसी प्रोब्लम हो जो बहुत ज्यादा कॉमन है, जो माद्रर्स बच्चे को जन्म देती है यह उन माँओं में देखने को मिलती है। परंतु बहुत ही कम लोगों को इसकी जानकारी होती है। जब कोई माँ अपने बच्चे को जन्म देती है उसके 2 से 3 महीने बाद माँ में कुछ बदलाव देखने को मिलते है जैसे कि उसे बात-बात पर गुस्सा आने लगता है, चिडचिडापन होने लगता है। इस post pregnancy की मुख्य वजह होती है हार्मोनल का चेंज होना। क्योंकि जब माँ बच्चे को जन्म देती है तो उसकी बॉडी बहुत ही वीक हो जाती है जिससे उसे दोबारा से रिकवर करने के लिए हार्मोंस चेंज होती है और इस समय महिला के स्वभाव में बहुत ज्यादा परिवर्तन देखने को मिलता है।
  7. Menopause — menopause problems , hormonal, osteoporosis — मैनोपोज एक महिला के उम्र की वह अवस्था होती है जहाँ पर उनके पिरियड रुक जाते है या फिर धीरे-धीरे बंद होने लगते है। क्योंकि जब अंडे बनना बंद हो जाते है तब पिरीयड होने भी बंद हो जाते है। इस स्टेज पर जब एक महिला पहुत जाती है तो उसे मैनोपोज बोला जाता है। डॉक्टरों का मानना है कि जब किसी महिला को एक साल तक पिरीयड नही आते है तो उस महिला को कहा जाता है कि मैनोपोज हो गया है यानि कि अब वह माँ नही बन सकती है। जो भी महिलाएं इस मैनोपोज के दौर से गुजर रही होती है उन्हें नींद आनी बंद हो जाती है और नींद न आना अपने आप में बहुत सारी समस्याओं को बुलावा देती है। इस स्टेज में महिलाओं की जिंदगी बहुत सारे तनावों से भरी होती है।

ये सब वो समस्याएं है , जो सिर्फ स्त्री फेस करती है | इसके अलावा पुरुषों में होने वाली सारी बीमारियाँ एक स्त्री face करती ही है | ये सब वजह स्त्री को पुरुष से ज्यादा ध्यान देने लायक बनती है |
एक महिला को विशेष देखभाल की जरूरत होती है इसलिए डॉ. चंचल शर्मा आशा आयुर्वेदा महिला स्वास्थ्य के लिए विशेष आयुर्वेदिक पंचकर्म केंद्र है। हम रजोनिवृत्ति से रजोनिवृत्ति तक महिला के लिए आयुर्वेदिक उपचार देते हैं।

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